जनपद | मुख्यालय | स्थापना वर्ष |
---|---|---|
देहरादून | देहरादून | 1817 |
पौड़ी गढ़वाल | पौड़ी | 1840 |
अल्मोड़ा | अल्मोड़ा | 1891 |
नैनीताल | नैनीताल | 1891 |
टिहरी | नई टिहरी | 1949 |
पिथौरागढ़ | पिथौरागढ़ | 1960 |
उत्तरकाशी | उत्तरकाशी | 1960 |
चमोली | गोपेश्वर | 1960 |
हरिद्वार | हरिद्वार | 1988 |
उधमसिंह नगर | रुद्रपुर | 1995 |
रुद्रप्रयाग | रुद्रप्रयाग | 1997 |
चम्पावत | चम्पावत | 1997 |
बागेश्वर | बागेश्वर | 1997 |
देहरादून (Uttarakhand rajya ke janpadon ka parichay)–
देहरादून का प्राचीन नाम-
पृथ्वीपुर , शिव भूमि , द्रोणघाटी , देहरादून , सुघनगर ।
देहरादून का उपनाम-
सैनिक नगर , वन संस्थान नगर , लीची नगर , दून घाटी ।
स्थापना-
1817
मुख्यालय –
देहरादून
क्षेत्रफल –
3088 वर्ग किमी ०
जनसंख्या-
1696694
साक्षरता –
84.25 %
पुरूष –89.40 % , महिला –78.54 %
जनसंख्या घनत्व –
549
लिंगानुपात –
906
विकासखंड –
6 ( चकराता , रायपुर , सहसपुर , डोईवाला , कालसी , विकासनगर )
विधानसभा क्षेत्र –
10 ( चकराता ) अनुसूचित ( जनजाति ) , राजपुर ( अनुसूचित जाति ) , विकासनगर , देहरादून , धर्मपुर , मसूरी , डोईवाला , सहसपुर , ऋषिकेश , रायपुर )
लोकसभा सीट –
टिहरी व हरिद्वार लोकसभा।
(देहरादून में 6 विकास खण्ड ,7 तहसील, 10 विधान सभा क्षेत्र हैं )
नदी –
टोंस नदी , गंगा ( ऋषिकेश ) , यमुना , सोंग नदी ।
प्रसिद्ध मन्दिर –
संतलादेवी , टपकेश्वर , बुद्धाटेम्पल , महासू देवता , डाटकाली , कालसी ।
प्रसिद्ध मेले –
जौनसारी भाबर का मेला , क्वानू , दशहरा , लखवाड , महासू देवता , बिस्सू मेला , झंडा मेला , टपकेश्वर मेला , शरदोत्सव (मसूरी ) ।
प्रसिद्ध पर्यटक स्थल –
मसूरी , मालसी डियरपार्क , डाकपत्थर , आसन बैराज , लाखामंडल , चकराता , यमुना ब्रिज , त्रिवेणी घाट ( ऋषिकेश ) , सहस्त्रधारा , लच्छीवाला , गुच्चूपानी , टाइगर फॉल , एफ ० आर ० आई ० – म्यूजियम ।
ताल –
चन्द्रबाड़ी व कांसरोताल ।
दर्रे-
तिमलीपास
सीमा रेखा –
पूर्व में टिहरी व पौड़ी , पश्चिम में हिमांचल प्रदेश , उत्तर में उत्तरकाशी , दक्षिण में हरिद्वार ।
राष्ट्रीय राजमार्ग –
एन . एच . 72 , एन . एच .72 ( ए ) ( राज्य का सबसे छोटा राष्ट्रीय राजमार्ग ) ।
राष्ट्रीय उद्यान –
राजाजी राष्ट्रीय उद्यान
संस्थान –
लालबहादुर शास्त्री अकादमी ( मसूरी ) , भारती सैन्य अकादमी , फारेस्ट रिसर्च इंस्टिट्यूट , भारती सर्वेक्षण संस्थान , वन्यजीव संस्थान , ए॰आई॰आई॰एम॰स॰ ऋषिकेश , भारती पेट्रोलियम संस्थान , ओ.एन.जी.सी. संस्थान , वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान , स्वामी राम हिमालय हास्पिटल ।
हवाई पट्टी –
जौलीग्रान्ट ।
देहरादून की सीमायें-
उत्तरप्रदेश , हिमांचल प्रदेश । एक मात्र जिला जो दो राज्यों से सीमायें बनाता है । देहरादून , उत्तरकाशी , टिहरी , पौड़ी , हरिद्वार से लगती हैं । देहरादून नगर वाह्य एवं मध्य हिमालय के बीच स्थित में दून घाटी है ।
देहरादून के जलप्रपात-
टाइगर जलप्रपात , हार्डी जलप्रपात , भट्टा जल प्रपात ।
चारसिद्ध –
दत्तात्रेय भगवान के 84 सिद्धों में चार सिद्ध देहरादून में हैं ।
लक्ष्मण सिद्ध , कालू सिद्ध , माणक सिद्ध , मांडू सिद्ध ।
- 1817 में देहरादून को जिला बनाकर मेरठ मण्डल के अंतर्गत सम्मिलित कर दिया था ।
- 1975 में यह गढ़वाल मण्डल में शामिल कर दिया गया 09 दिसम्बर 1998 को देहरादून को नगर निगम बना दिया था ।
- द्रोण आश्रम होने के कारण देहरादून को द्रोण घाटी के नाम से जाना जाता है । विद्वानों के अनुसार गुरूराम द्वारा यहां देह त्यागने के कारण यह डेरादून और फिर देहरादून नाम पड़ा ।
- 1871 में जिला मुख्यालय के रूप में देहरादून नगर को रेल तथा सड़क मार्ग द्वारा प्रमुख शहरों से जुड़ गया था ।
- खुड़बुड़ा नामक प्रसिद्ध ऐतिहासिक स्थल देहरादून में ही है ।
- 14 मई 1804 में खुड़बड़ा का युद्ध यहीं हुआ था ।
- देहरादून में 4 छावनियां परिषद स्थित है ।
- चकराता छावनी -1866
- देहरादून छावनी- 30 नवम्बर 1814
- मसूरी छावनी -1827
- रूड़की छावनी-
- 1804 तक देहरादून परमार वंश के अधीन था ।
- 1804 से 1815 तक देहरादून गोरखों के अधीन था ।
- 1815 के बाद अंग्रेजों के अधीन था ।
देहरादून के पर्यटन स्थल-
टपकेश्वर महादेव मंदिर , माता वैष्णव गुफा मंदिर , चन्द्रवदनी , शंतला देवी मंदिर , गुच्चुपानी , भागीरथी रिसोट्स , गुरूरामराय दरवार साहिब , सहस्त्र धारा , फन वैली , मालसी डियर पार्क , बौद्ध टैम्पल , घण्टाघर , रामताल गार्डन , देववन , रामसर ताल ।
त्यूनी-
त्यूनी किन दो नदियों के पास स्थित है- टोंस एवं पाबर
त्यूनी का प्राचीन नाम- गुदिया खाटल है ।
कालसी-
- कालसी का उपनाम सुधनगर , कालूकट , खतलिका है ।
- कालसी में अशोक का शिलालेख प्राप्त हुआ है । यह अभिलेख प्राकृत भाषा में है और इस अभिलेख में कालसी के लोगों को पुलिन्द और कालसी के क्षेत्र को अपरान्त कहा गया है । इस अभिलेख में ब्राहमी लिपि का प्रयोग किया गया है ।
- स्थानीय रूप से कालसी को चित्रशिला कहा जाता है ।
- कालसी अभिलेख की खोज 1860 में जॉन फॉरेट ने की थी तथा जॉन प्रिंस ने सर्वप्रथम पड़ा था मौर्यकाल में व्यापारिक केन्द्र भी था ।
- कालसी के मंदिरों तथा स्तूपों को नठर सुल्तान नसिरुद्दीन ने 1254 ई . में किया था ।
खलंगा स्मारक-
- नालापानी नामक स्थान पर देहरादून में स्थित है ।
- यह स्मारक गोरखा सेनानायक बलभद्र थापा तथा ब्रिटिश सेनापति गिलेस्पी के साहस व वीरता को समर्पित है ।
- इस स्मारक को कलंगा स्मारक या कलगा गढ़ी के नाम से भी जाना जाता है यह स्मारक रिस्पना नदी के तट पर स्थित है ।
लाखामण्डल-
- लाखामण्डल देहरादून के जौनसार बावर क्षेत्र में है ।
- लाखामण्डल का प्राचीन नाम मठ , मौण , मूर्तियों का भण्डार है ।
- लाखामण्डल यमुना तथा तथा रिखनाड़ नदी के संगम पर स्थित है ।
- यहां उत्तराखण्ड शैली में निर्मित शिव मंदिर है ।
- लाखामण्डल से राजकुमारी ईश्वरा का शिलालेख प्राप्त हुआ है ।
- महाभारत काल का लाक्षाग्रह भी यही बनाया गया ।
बैराटगढ़ / बैराट रवांई-
- यह चकराता देहरादून में चौराणी चोटी पर स्थित है ।
- बैराटगढ़ में पुलिंद राजा विराट की राजधानी थी ।
- विराटगढ़ की पुत्री उत्तरा का विवाह अभिमन्यु ( अर्जुन के पुत्र ) के साथ हुआ था ।
हनौल –
- हनौल टाँस नदी के किनारे स्थित है ।
- यहां महासू देवता का प्रसिद्ध मंदिर है ।
- हनौल मंदिर हुण शैली में बना है ।
- हनौल का प्राचीन मंदिर चक्रपुर था ।
मसूरी –
- पहाड़ों की रानी / पर्वतों की रानी
- दून का ताज
- यमुनोत्री तथा गंगोत्री का प्रवेश द्वार
- भारत का एडिम्बरा ।
- मसूरी का संस्थापक – आयरिस अफसर कैप्टन यंग 1823 थे ।
- मसूरी की सबसे ऊँची चोटी लाल टिब्बा है ।
- 1827 में मसूरी की पहली ईमारत मलिंगार होटल बना था ।
- 1827 में मसूरी छावनी कैप्टन यंग ने बसाई थी ।
- लंढौर बाजार की 1828 ई . में स्थापना हुई ।
- मसूरी नगरपालिका की स्थापना 1843 ई . में हुई थी जो राज्य की सबसे पुरानी नगर पालिका है ।
- हैप्पी वैली भी मसूरी में स्थित है ।
- मसूरी के प्रमुख दर्शनीय स्थल- मैसी फॉल , भट्टा फॉल , धनोल्टी , हांडी फॉल , मसूरी झील लेक मिस्ट झील , गन हिल , नाग टिब्बा , लाल टिब्बा , झड़ी पानी , कैमल्स बैंक , विनोग हिल्स वन चेतना केन्द्र ।
ऋषिकेश-
- ऋषिकेश का प्राचीन नाम कुब्जाम्रक , वीरभद्र है ।
- ऋषिकेश गंगा एवं चन्द्रभागा नदी के तट पर स्थित है ।
- ऋषिकेश को ऋषि मुनियों तपस्थली तथा आध्यात्मिक केन्द्र है तथा संत नगरी भी कहा जाता है ।
- ऋषिकेश के प्रमुख दर्शनीय स्थल- तपोवन , बाबा काली कमली , लक्ष्मण झूला , मुनि की रेती , शिवपुरी , स्वर्गाश्रम , शक्तिनारायण आश्रम , शिवानन्द झूला , पशुलोक आश्रम , विट्ठल आश्रम , स्वामी शिवानन्द आश्रम ( 1936 ) ।
देहरादून के ताल / झीलें –
- कांसरो ताल
- चन्द्र बद्री ताल
- तरण ताल
- रामसर ताल
- रामताल गार्डन ।
देहरादून के प्रमुख संस्थान–
- उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग -17 सितम्बर 2014
- सगंध पौधा केन्द्र मैप– देहरादून
- मानसिक रोग संस्थान सेलाकुई -देहरादून
- हिमालय म्यूजियम ऋषिकेश -देहरादून
- इण्डियन मिलेट्री अकादमी –10 अक्टूबर 1932
- ओ.एन.जी.सी. – 14 अगस्त 1950
- इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम -देहरादून
- इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालय जियोलॉजी – देहरादून
- भारतीय वनस्पति सर्वेक्षण विभाग-देहरादून
- विज्ञान धाम – देहरादून
- उत्तरांचल तकनीकि विश्वविद्यालय – देहरादून
- हिमालय इंस्टीट्यूट – देहरादून
- हिमालय सांस्कृतिक केन्द्र-देहरादून
- विश्व प्राकृतिक धरोहर केन्द्र – देहरादून
- फुटबॉल अकादमी -देहरादून
- द्वितीय गोरखा रेजीमेंट गठन – देहरादून
- भारतीय सैन्य अकादमी -1932 देहरादून
- महात्मा गांधी नेत्र विज्ञान केन्द्र-देहरादून
- अखिल भारतीय आयुर्वेदिक संस्थान ( ऐम्स ) -ऋषिकेश देहरादून
- गौ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी संस्थान – पशुलोक ऋषिकेश देहरादून
- उत्तराखण्ड जल विद्युत निगम – देहरादून
- राज्य औद्योगिक निगम विकास लिमिटेड – देहरादून
- आर्डिनेस फैक्ट्री– देहरादून
- भारतीय सैन्य महाविद्यालय – देहरादून
- डिफैंस इलेक्ट्रॉनिक एप्लीकेशन लैबोरेट्री – देहरादून
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य –
- दून विश्वविद्यालय की स्थापना 14 नवम्बर 2004 में हुई ।
- दून स्थित संस्कृत विद्यालय की स्थापना -1902 ई . ।
- कन्या महादेवी पाठशाला की स्थापना-1902 ।
- आसन बैराज , डाक पत्थर स्थित है-देहरादून ।
- देहरादून को पहाड़ों की रानी मसूरी का प्रवेश द्वार कहते हैं ।
पौड़ी गढ़वाल (Uttarakhand rajya ke janpadon ka parichay)
उपनाम –
गढ़वाल
अस्तित्व –
1840 ई ०
क्षेत्रफल –
5329 वर्ग किमी ०
जनसंख्या-
687271
साक्षरता –
82.20 % ,
पुरूष –92.71 % , महिला –72.60 %
जनसंख्या घनत्व –
129
लिंगानुपात –
1103
विकासखंड –
15 ( कलजीखाल , पौड़ी , थलीसैण , पाबौ , रिखणीखाल , बीरोंखाल , दुगड्डा , लैंसडाउन , कोट , द्वारीखाल , यमकेश्वर , पोखड़ा , नैनीडांडा , खिर्स् , पाणाखेत )
प्रसिद्ध मन्दिर –
ज्वालपा देवी , दुर्गादेवी , सिद्धबली मंदिर , नीलकंठ महादेव , धारीदेवी , चामुंडादेवी , विष्णु मंदिर , कमलेश्वर मंदिर , ताड़केश्वर मंदिर |
प्रसिद्ध मेले –
सिद्धबली जयंती , गेंदा कौथिक , वीरचन्द्र सिंह गढ़वाली मेला , मधुगंगा मेला , बैकुंठ चतुर्दशी मेला , ताड़केश्वर मेला , गंवाडस्यू मेला , कण्वाश्रम मेला , भुवनेश्वरी देवी मेला ।
प्रसिद्ध पर्यटक स्थल –
खिर्स , चीला , कालागढ़ , दूधातोली , पौड़ी , श्रीनगर , लैंसडाउन , कोटद्वार ।
गुफायें – गोरखनाथ गुफा ।
जलविद्युत परियोजनायें –
रामगंगा परियोजना , चीला परियोजना ।
सीमा रेखा –
पूर्व में अल्मोड़ा व चमोली , पश्चिम में हरिद्वार व देहरादून , उत्तर में रुद्रप्रयाग व टिहरी , दक्षिण में उत्तर प्रदेश ।
राष्ट्रीय उद्यान –
सोनानदी राष्ट्रीय उद्यान , जिम कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान , राजाजी राष्ट्रीय उद्यान ।
राष्ट्रीय राजमार्ग –
एन . एच . 121
संस्थान –
एन ० आई ० टी ० श्रीनगर , बी ० इ ० एल ० कोटद्वार , वीर चन्द्र सिंह गढ़वाली मेडिकल कॉलेज ।
विधानसभा क्षेत्र –
6 ( कोटद्वार , पौड़ी ( अनुसूचित जाति ) , श्रीनगर ( अनुसूचित जाति ) , चौबटाखाल , यमकेश्वर , लैंसडाउन )।
लोकसभा सीट –
पौड़ी गढ़वाल लोकसभा ।
नदी-
पश्चिम रामगंगा , नयार , अलकनंदा ।
पौड़ी का सर्वोच्च शिखर –
झण्डीधार 2300 कि . मी . 1992 में पौड़ी को हिल स्टेशन घोषित किया गया । 1960 में पौड़ी जिले से काटकर चमोली तथा 1997 में रूद्रप्रयाग बनाया गया ।
गढ़वाल में स्थित मंदिरों का नगर –
श्रीनगर
(राज्य में मंदिरों का नगर है – द्वाराहाट ( आल्मोड़ा ) केदारखण्ड , स्कन्द पुराण में श्रीनगर को श्री क्षेत्र शब्द से वर्णित किया गया है ।)
धारीदेवी मंदिर –
सोम का भाण्डा ,गोरखनाथ गुफा ,झिममिल गुफा , पाण्डव गुफा , कोट महादेव मंदिर , खिर्स् , खैर का डाण्डा , चरेख डाण्डा , मोर ध्वज का किला , सतपुली , टिप इन टॉप , लैंसडाउन पौड़ी में , भुला लेक भीम पकौड़ा आदि प्रमुख स्थल हैं ।
दूधातोली –
चमोली , अल्मोड़ा , पौड़ी जनपद में स्थित है । दूधातोली में 05 नदियां -पश्चिमी गंगा , आटा गाड़ , पश्चिमी नयार , पूर्वी नयार , बूनो नदियों का उद्गम होता है ।
पौड़ी में स्थित प्रमुख संस्थान एवं संगठन–
उच्च स्थलीय पौध शोध संस्थान – श्रीनगर पौड़ी
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलोजी एन.आई.टी.– श्रीनगर पौड़ी
रांसी स्टेडियम-
पौड़ी
हिमालय पुरातत्व एवं नृवंशीय संग्रहालय –
श्रीनगर 1980
मोलाराम चित्र संग्रहालय –
श्रीनगर
गढ़वाल राइफल्स मुख्यालय –
लैन्सडाउन पौड़ी
दरवान सिंह संग्रहालय –
लैन्सडाउन पौड़ी 1983
गढ़वाल मण्डल विकास निगम –
पौड़ी 31 मार्च 1976
हाई अल्टीट्यूट प्लांट फिजिलोलॉजी रिसर्च सेंटर –
श्रीनगर
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य –
- पौड़ी जिला सर्वाधिक जिलों ( 7 ) से सीमायें बनाने बाला जिला है ।
देहरादून , हरिद्वार , टिहरी , अल्मोड़ा , नैनीताल , रूद्रप्रयाग एवं चमोली । - पौड़ी एक राज्य उत्तरप्रदेश से सीमायें बनाता है ।
- पौड़ी में 15 विकासखण्ड 12 तहसील और 06 विधानसभा क्षेत्र आते हैं ।
- राज्य में गढ़वाली पाठ्यक्रम शुरू करने वाला प्रथम जिला है ।
- 1815 से 1840 तक ब्रिटिश गढ़वाल की राजधानी श्रीनगर रही ।
- 1840 में पौड़ी गढ़वाल को ब्रिटिश गढ़वाल का एक जिला बनाया गया ।
- पौड़ी कण्डोलिया पहाड़ी पर स्थित है ।
- 24 दिसम्बर 2001 को पौड़ी को देवप्रयाग पुल से जोड़ा गया ।
- उत्तराखण्ड राज्य की पहली मस्जिद अल्मोड़ा में है तथा 1902 में पौड़ी में भी मस्जिद का निर्माण किया गया ।
- 1957 में पौड़ी को नगर पालिका घोषित किया गया ।
- श्री यंत्र नामक शिला श्रीनगर में स्थित है ।
- श्रीनगर को पी . के . पौ मॉडल के अनुसार बसाया गया है ।
- 1973 में श्रीनगर में गढ़वाल विश्वविद्यालय की स्थापना की गयी है ।
- श्रीनगर में ही एन.आई.आई. टी कॉलेज भी है ।
- अजयपाल का भवन मोलाराम की चित्रशाला श्रीनगर में स्थित है ।
- जनपद पौड़ी गढ़वाल ‘ पुस्तक ‘ के लेखक हैं – दिनेश चन्द्र बलूनी
नैनीताल (Uttarakhand rajya ke janpadon ka parichay)
उपनाम –
सरोवर नगरी
प्राचीन नाम-
नैनीताल का प्राचीन नाम छ : खाता दृष्टिखात परगना ।
अस्तित्व –
1891 ई ० में “ 1842 पी ० बैरन ” द्वारा खोजा गया ।
क्षेत्रफल –
4251 वर्ग किमी .
जनसंख्या-
954605
साक्षरता –
76.36 % ,
पुरूष –89.76 % , महिला –69.28 %
जनसंख्या घनत्व –
225
लिंगानुपात –
934
विकासखंड –
8 ( हल्द्वानी , भीमताल , रामगढ़ , कोटाबाग , रामनगर , बेतालघाट , ओखलकांडा , धारी )
प्रसिद्ध मन्दिर –
नैनादेवी मंदिर , हनुमानगढ़ी , मुक्तेश्वर , गर्जिया देवी
प्रसिद्ध मेले-
नन्दादेवी , ग्रामीण हिमालय हाट , बैशाखी पर्व ।
प्रसिद्ध पर्यटक स्थल –
सातताल , रामनगर , नैनीताल , भीमताल , कालाढूंगी , रामगढ़ , मुक्तेश्वर , हल्द्वानी ,कैंचीधाम ।
ताल –
नैनीताल , भीमताल , नौकुचियाताल , खुरपाताल , नलदमयंती ताल , सातताल , सूखाताल , मलवाताल ,सड़ियाताल ।
पर्वत –
चाइना पीक , किलवरी ।
सीमा रेखा –
पूर्व में चम्पावत , पश्चिम में पौड़ी , उत्तर में अल्मोड़ा , दक्षिण में उधम सिंह नगर ।
राष्ट्रीय उद्यान-
जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान राष्ट्रीय राजमार्ग- एन . एच . 87 ( हल्द्वानी , नैनीताल , दिल्ली ) , एन . एच . 121 ( रामनगर , काशीपुर , देहरादून )
संस्थान-
उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय ( हल्द्वानी ) , कुमाऊँ विश्वविद्यालय , उच्च न्यायालय , उत्तराखण्ड विद्यालयी शिक्षा परिषद् ( रामनगर ) , उत्तराखण्ड प्रशासनिक प्रशिक्षण अकादमी , उत्तराखण्ड न्यायिक एवं विधिक अकादमी , आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ओब्सेर्वेशनल साइंसेज ।
संग्रहालय –
जिम कॉर्बेट म्यूजियम , हिमालय संग्रहालय , क्षेत्रीय अभिलेखागार ।
विधानसभा क्षेत्र –
6 ( लालकुँआ , हल्द्वानी , नैनीताल ( अनुसूचित जाति ) , रामनगर , भीमताल , कालाढूंगी )
लोकसभा सीट –
नैनीताल
नदी –
रामगंगा
नैनीताल की खोज-
नैनीताल की खोज पी . बैरन ने 18 नवम्बर 1841/1839 में की थी ।
सीतावनी-
यह स्थान नैनीताल में रामगंगा से 27 कि . मी . दूर है ऐसा कहा जाता है कि स्वामी ब्रह्मानन्द सरस्वती महाराज के यज्ञ , तप से सीतावनी का विकास हुआ सीतावनी के पास ही सीता सरोवर स्थित है और वाल्मिकी आश्रम भी है ।
हल्द्वानी –
- गोला नदी के तट पर स्थित यह नगर ऐसा माना जाता है कि हल्दू ( हल्दी ) के पेडों के कारण इसका नाम हल्द्वानी पड़ा ।
- चंद राजा रूद्रचंद के समय यहां बस्तियां बननी शुरू हुई ।
- 1834 में विलियम ट्रैल ने हल्द्वानी को बसाया ।
- 1897 में नगर पालिका की स्थापना हुई ।
- 22 मई 2011 को नगर निगम का दर्जा दिया गया ।
काठगोदाम –
- गोला नदी के तट पर स्थित है ।
- से कुमाऊँ का प्रवेश द्वार कहा जाता है । इससे पहले काठगोदाम को बमौरी घाटा ( दर्रा ) कहलाता था ।
- पहले यहां काठ की लकड़ी का गोदाम हुआ करता था इसी कारण इसका नाम काठ गोदाम पड़ा ।
- 1884 में काठगोदाम रेलवे स्टेशन चालू किया अंग्रेजों ने और काठ की लकड़ियों का व्यापार किया ।
- काठगोदाम को गुलाबी घाटी भी कहा जाता था ।
- 1994 में काठगोदाम की रेलवे लाइन को बड़ी बनाया गया ।
मुक्तेश्वर-
मुक्तेश्वर का प्राचीन नाम मोतेश्वर है । 1890 में यहां पर भारतीय पशु चिकित्सालय अनुसंधान संस्थान स्थित है ।
कैची धाम-
- यह भवाली नैनीताल में स्थित है ।
- शिप्रा नदी के किनारे स्थित इसकी स्थापना संत श्री नीम करौली महाराज ने की इनका मूल नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा है । इन्होंने हनुमान गढ़ी की स्थापना भी की ।
रानीबाग-
- रानीबाग का प्राचीन नाम भद्रवट चित्रशिला , चौधाणघाट आदि ।
- जियारानी गुफा , चित्रेश्वर गुफा , शिला , कालभैरव मंदिर रानिबाग में स्थित है ।
- जियारानी मेला भी यहीं लगता है ।
- रानीबाग का प्रसिद्ध युद्ध भी यहीं लड़ा गया था ।
गोलू देवता मंदिर-
नैनीताल से 15 कि . मी . दूर घोड़ाखाल में स्थित चंद शासक बाजबहादुर चंद ने बनाया था । घोड़ाखाल -1966 में जयमल सिंह ने सैनिक स्कूल की स्थापना की गई थी ।
रामगढ़-
- कवियत्री महादेवी वर्मा संग्रहालय यहां स्थित है , रामगढ़ के पास गगर ( गर्गांचल ) नामक स्थान है जो ऋषि गर्ग की तपस्थली है ।
- टैगोर टॉप भी यहीं स्थित है ।
- गीतांजली की रचना यहीं की थी ।
नलताल-
बहुत अधिक कमल के फूल होने के कारण इसे कमलताल भी कहते हैं ।
कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान-
- पौड़ी और रामनगर नैनीताल जिलों में स्थित ।
- इसकी स्थापना 1936 में हेली नेशनल पार्क के नाम से की गई थी कुछ समय बाद रामगंगा , नेशनल पार्क के नाम से भी जाना जाने लगा ।
- 1957 में इसे जिम कार्बेट नाम से जाने जाना लगा रामगंगा नदी के किनारे स्थित है ।
- भारत तथा एशिया का प्रथम राष्ट्रीय उद्यान कार्बेट राष्ट्रीय पार्क के मध्य पाटली दून स्थित है ।
- 01 नवम्बर 1973 ई . को इसे भारत का पहला बाघ संरक्षित पार्क घोषित किया गया ।
- राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण की स्थापना 2005 में की गई ।
- कार्बेट राष्ट्रीय उद्यान का प्रवेश द्वार है- ढिकाला रामनगर
कालाढुंगी-
- यह बोर नदी के किनारे स्थित है , यह जिम कार्बेट का घर व संग्रहालय स्थित है ।
- कालाढूंगी को नया हल्द्वानी भी कहा जाता है ।
भीमताल-
- प्राचीन नाम भीमहद ।
- कुमाऊँ क्षेत्र की सबसे बड़ी झील व ताल है ।
नौकुचियाताल –
- मानसखण्ड में सनत्व कुमार सरोवर कहा गया ।
- कुमाऊँ का सबसे गहरा ताल है । नौ कोने वाली ताल है ।
- ताल के किनारे बालाजी नाम से भगवान विष्णु का प्राचीन मंदिर है ।
भवाली-
- 1912 में इस स्थान पर टी.बी. रेडियो के लिए टी.बी. सेनिटोरियम खोला गया जिसका निर्माण किंग एडवर्ड 7 वां ने किया था ।
- पायलट बाबा का मंदिर भी यहीं स्थित है ।
रामनगर-
- कोसी नदी के तट पर बसा यह शहर 1850 ई . में कमिश्नर रैम्जे ने बसाया था ।
- रामनगर का रैम्जेनगर या रामजीनगर भी कहा जाता है ।
- कार्बेट नेशनल पार्क का पूर्वी द्वार ढिकाला भी रामनगर में स्थित है ।
वेधशाला-
- इसकी स्थापना 20 अप्रैल 1954 में वाराणसी में स्थापना हुई उसके बाद 1955 में नैनीताल स्थानांतरित किया और 1961 में मनेरा पिक वर्तमान में राजकीय वेधशाला स्थित है ।
- इसे नक्षत्र वेधशाला भी कहा गया है ।
- एरीज ( आर्य भट्ट प्रशिक्षण शोध संस्थान ) भी यहीं है देवस्थल भी यहीं है ।
डोरोर्थासीट-
- डोरोर्थासीट पर्वत चोटी नैनीताल में है , इसे टिफिन टॉप नाम से भी जाना जाता है , टिप इन टॉप चोटी पौड़ी में है ।
सतलिया का डाण्डा कहां पर स्थित है –
छकाता के पास नैनीताल
खुटानी-
- यह भीमताल में स्थित है । लोक संस्कृति संग्रहालय भी यहीं स्थित है ।
- यशोधर मठपाल ने 1893 में इसकी स्थापना की थी ।
वधाण स्थली –
ब्रह्मस्थली- ब्रह्मस्थली में बधाण देवता मंदिर स्थित है जिसकी स्थापना गर्ग ऋषि ने की थी । काकड़ी घाट- 1890 ई . में हिमालय यात्रा के दौरान स्वामी विवेकानन्द को काकड़ी घाट में ज्ञान की प्राप्ति हुई । इस स्थान को बोधगया भी कहा जाता है । काकड़ीघाट कोसी तथा सिरता नदी के किनारे स्थित है । कर्कटेश्वर महादेव मंदिर भी काकड़ी घाट में स्थित है । फांसी गधेरा ( हेंग मंन्स ) 1857 की क्रांति में उसे अधिक क्रांतिकारियों को फांसी दी गई थी इसलिए इसे फांसी का गधेरा कहते हैं ।
प्रमुख पर्वत चोटियां-
- नैनापिक ( चाइनापिक ) (नैनीताल की सबसे ऊँची चोटी)
- किलवरी
- लडिया कांठा
- देवपाटा
- कैमल्स बैक
- डोरोथी सीट टिफिन टॉप
- स्नोव्यू
- अचार पाटा
- हांडी – भांड़ी
- लदिया कांटा
- शेर का डांडा
- आल्मा
- चीमा
सैन्टजोन्स चर्च-
02 अप्रैल 1848 को यह प्राचीन स्मारक का निर्माण हुआ इसके अतिरिक्त यहां मैथोडिस्ट चर्च निर्माण 1860 निकोलस चर्च 1896 में बनकर तैयार हुआ ।
कत्था उद्योग कहां स्थित है-
हल्द्वानी नैनीताल
एच.एम.टी. हिन्दुस्तान मशीन टूल –
रानीबाग भीमताल नैनीताल
विधि विश्वविद्यालय-
भवाली नैनीताल
तितलियों का संग्रहालय –
भीमताल , नैनीताल ( फ्रेडरिक स्मेटा तितली संग्रहालय )
तांबे की खान कहां पर थी-
तल्लीरौ में किमुखेत नैनीताल
लोहे की खान कहां पर थी-
मंगलखेत नामक गांव नैनीताल
कायलकोट व कैडाकोट नाम के किले ( वर्तमान में वीरान ) कहां पर है-
ध्यानीरौ ( नैनीताल ) ।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य –
- नैनीताल को सरोवर नगरी या झीलों की नगरी कहा जाता है ।
- नैनीताल नगर तीनों ओर से सात पहाड़ियों से घिरा है ।
टिफिन टॉप , चाइना पिक , देवपात , आयरपात , घडीगढ़ी स्नोब्यू व आलम सरिया । - शेर का डांडा व कैमल्स बैक भी नैनीताल में ही स्थित है ।
- नैनीताल को सप्तभृंग क्षेत्र भी कहा जाता है ।
- 1842 ई . में तराई जिला अस्तित्व में आया ।
- 1842 ई . में नैनीताल नगर पालिका समिति का गठन हुआ ।
- 30 अक्टूबर 1850 को नैनीताल नगर पालिका का गठन हुआ ।
- 1882 ई . में काठगोदाम तक रेल लाइन तथा 1819 ई में जिला मुख्यालय बना ।
- सन् 1900 में नैनीताल के मल्लीताल में राजभवन / सचिवालय भवन की स्थापना की गई ।
- 1962 ई . में नैनीताल को उत्तरप्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया ।
- उत्तराखण्ड का उच्च न्यायालय नैनीताल में है इसकी स्थापना 09 नवम्बर 2000 को हुई ।
इस भवन का निर्माण सर सन्टोनी मैक्डोनल्ड ने 1897 ई . में कराया था , यह भवन बर्निघम की तर्ज पर बना है तथा यूरोपियन शैली में बना है । - 1984 ई . में लाल कुआं नैनीताल में एक पेपर मिल की स्थापना की गई थी ।
- राज्य में पहले आयुष ग्राम की स्थापना भवाली नैनीताल में की गई थी ।
- 1847 ई . में नैनीताल को हिल स्टेशन का दर्जा दिया गया ।
- नैना पिक या चाइना पिक नैनीताल की सबसे ऊंची चोटी 2611 मी . है ।
- गिरजा देवी मंदिर या गर्जिया देवी मंदिर नैनीताल में स्थित है 1940 से पहले इस मंदिर का नाम उपटा देवी या उपट द्यौ था ।
- गर्जिया के पास ढ़िकुली में कत्यूरियों की शीतकालीन राजधानी मानी जाती है ।
- कुमाऊँ मण्डल विकास निगम की स्थापना 31 दिसम्बर 1976 ।
- गढ़वाल मण्डल विकास निगम की स्थापना – 31 दिसम्बर 19761 ।
- उत्तराखण्ड प्रशासनिक प्रशिक्षण अकादमी- नैनीताल 1988
- उत्तराखण्ड मुक्त विश्व विद्यालय – हल्द्वानी 2005
- इन्दिरा गांधी इण्टर प्रिंटेशन सेंटर- रामनगर
- वैक्सीन रिसर्च इन्स्टीट्यूट – पटवाडा नगर ( नैनीताल )
- टरार अनुसंधान केन्द्र- भीमताल नैनीताल
- फारेस्ट ट्रैनिंग स्कूल – हल्द्वानी नैनीताल
- राष्ट्रीय शीत जल मत्स्यकीय अनुसंधान केन्द्र- भीमताल
- राजकीय वैधशाला- नैनीताल
- वन एवं वन पंचायत प्रशिक्षण अकादमी- हल्द्वानी नैनीताल
- आर्यभट्ट प्रक्षेपण एवं शोध संस्थान ( एरीज ) देवस्थल नैनीताल
- उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय – नैनीताल
- उत्तरांचल शिक्षा एवं सेवा नियोजन निदेशालय- नैनीताल
- जैव प्रौद्योगिकी संस्थान- पटवाडा नगर
- कुमाऊँ मण्डल विकास निगम- नैनीताल 31 मार्च 1976
- शेरवुड कॉलेज- नैनीताल- 1869
- प्रशिक्षण एवं सेवा नियोजन निदेशालय- नैनीताल कुमाऊँ यूनिवर्सिटी- नैनीताल 1773
- राष्ट्रीय पादप एवं जैविक संस्थान – नैनीताल
- मलेरिया शोध एवं उन्मूलन केन्द्र- भवाली नैनीताल
- नैनीताल पर्वतारोहण क्लब- नैनीताल 1968 हिमालय संग्रहालय – नैनीताल 2005 हिमालयन संग्रहालय – उत्तरकाशी
- जिम कार्बेट नेशनल पार्क म्यूजियम- कालाढूंगी नैनीताल
- इन्दिरा गांधी इण्टरनेशनल स्टेडियम- हल्द्वानी
- मानसिक रोग चिकित्सालय – भवाली नैनीताल
- नैनीताल को हिल स्टेशन का दर्जा दिया गया- 1847/1996
- 1962 में नैनीताल को यू.पी. की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया था ।
अल्मोड़ा (Uttarakhand rajya ke janpadon ka parichay)
उपनाम-
बाल मिठाई का घर , सांस्कृतिक नगरी , ताम्र नगरी , पितल नगरी , पटालनगरी ।
प्रचीन नाम –
रामक्षेत्र , राजापुर , आलम नगर , खगमरा कोट
अस्तित्व –
1891 ई .
क्षेत्रफल –
3144 वर्ग किमी .
जनसंख्या-
622506
साक्षरता –
80.47 % ,
पुरूष –92.86 % , महिला –69.93 %
जनसंख्या घनत्व –
198
लिंगानुपात –
1139
विकासखंड –
11 ( ताड़ीखेत , भिकियासैण , लमगड़ा , धौलादेवी , स्यालदे , भैसियाछाना , हवालबाग , द्वाराहाट , ताकुला , चौखुटिया , सल्ट ) ।
प्रसिद्ध मन्दिर –
द्वाराहाट मंदिरों का समूह , दूनागिरी , विन्सर महादेव , वीरनेश्वर , सितलादेवी , नागेश्वर ज्योतिर्लिंग ,नंदादेवी , पर्वेतेश्वर , गोलू देवता , कसार देवी , कटारमल सूर्य मंदिर , चितई मंदिर , जागेश्वर मंदिर , विभाण्डेश्वर मंदिर , सोमनाथ मंदिर ।
प्रसिद्ध मेले –
गोलज्यू मेला , स्याल्दे बिखौती , सालम रंग , श्रावणी , नंदादेवी , शहीद दिवस मेला , दशहरा । प्रसिद्ध पर्यटक स्थल – द्वाराहाट , चौखुटिया , अल्मोड़ा , बिन्सर , शीतलाखेत , दूनागिरी ।
ताल-
तड़ागताल
सीमा रेखा –
पूर्व में पिथौरागढ़ व चम्पावत , पश्चिम में पौड़ी , उत्तर में बागेश्वर , दक्षिण में नैनीताल ।
राष्ट्रीय उद्यान –
विन्सर राष्ट्रीय उद्यान
राष्ट्रीय राजमार्ग –
एन.एच. 87
संस्थान –
ड्रग कम्पोजिट रिसर्च यूनिट , उदयशंकर नृत्य एवं संगीत अकादमी , उत्तराखंड सेवानिधि एवं पर्यावरण शिक्षा संस्थान , गोबिंद बल्लभ पन्त राजकीय संग्रहालय , कृषिशोध संस्थान ।
विधानसभा क्षेत्र –
6 ( रानीखेत , द्वाराहाट , सल्ट , अल्मोड़ा , जागेश्वर ( सोमेश्वर ) अनुसूचित जाति )
लोकसभा सीट –
अल्मोड़ा लोकसभा
नदी –
पश्चिम रामगंगा
द्वाराहाट-
उपनाम- मंदिरों की नगरी , मीठी मूलियों का क्षेत्र , हिमालय की द्वारिका , उत्तराखण्ड का रेगिस्तान ।
रानीखेत-
प्राचीन नाम – ऑकलैण्ड होल्स
उपनाम – पर्यटकों की नगरी
रानीखेत की स्थापना- 1869 अंग्रेजों द्वारा की गई
रानीखेत झूला देव पर्वत श्रृंखला पर स्थित है।
रानीखेत के विषय में नीदरलैण्ड के राजदूत ने कहा थाकि जिसने रानीखेत नहीं देखा उसने भारत नहीं देखा ।
विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान –
अल्मोड़ा 1924
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य –
- अल्मोड़ा नगर पालिका परिषद की स्थापना- 1864
- अल्मोड़ा कोसी तथा सुयाल नदी के मध्य काषायं पर्वत पर स्थित है ।
- माना जाता है कि अल्मोड़ा को 1530 में भीष्मचंद ने खगमरा कोट नाम से बसाया था ।
- महात्मा गांधी ने अल्मोड़ा के बारे में ‘ मेरी कुमाऊँ यात्रा ‘ पुस्तक में वर्णन किया है ।
- स्वामी विवेकानन्द ने अपनी पुस्तक कोलम्बो से अल्मोड़ा में अल्मोड़ा का वर्णन किया है ।
- स्वतंत्रता के समय पण्डित नेहरू दो बार अल्मोड़ा जेल में बंद हुये थे ।
- अल्मोड़ा राज्य की पहली जेल -1816 ई . में स्थापना हुई। जिसे अल्मोड़ा के देवी – भैरव के मंदिर राजा रूद्रचंद ने बनाया था ।
- कटारमल सूर्य मंदिर अल्मोड़ा के लमगड़ा ब्लॉक में स्थित उत्तराखण्ड शैली में निर्मित है ।
- अल्मोड़ा में स्थित प्रमुख संस्थान एवं संगठन अल्मोड़ा डिबेटिंग क्लब – 1870
- अल्मोड़ा अखबार- 1871
- गढ़वाल राइफल्स का गठन- 05 मई 1887 अल्मोड़ा में
- राजकीय संग्रहालय एवं कला भवन – अल्मोड़ा
- उदय शंकर नाट्य नृत्य अकादमी लोक कला संस्थान अल्मोड़ा
- कॉआपरेटिव ड्रग फैक्ट्री- रानीखेत
- अल्मोड़ा इण्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ आयुर्वेद फॉर ड्रग्स रिसर्च – अल्मोड़ा
- उत्तराखण्ड अक्षय ऊर्जा विकास निगम अल्मोड़ा गोविन्द बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण तथा विकास संस्थान- कोसी कटारमल
- रक्षा कृषि शोध संस्थान- अल्मोड़ा
- भारतीय संस्कृति केन्द्र – रानीधार ( अल्मोड़ा )
- कुमाऊँ रेजीमेंट का मुख्यालय- रानीखेत अल्मोड़ा
- 1/3 गोरखा रेजीमेंट का गठन- अल्मोड़ा
- प्रसिद्ध पर्यटक स्थल कौसानी किस पट्टी में है- बोरा रो
टिहरी गढ़वाल (Uttarakhand rajya ke janpadon ka parichay)
अस्तित्व –
01 अगस्त , 1949
क्षेत्रफल –
3642 वर्ग किमी .
जनसंख्या-
618931
साक्षरता –
76.36 % ,
पुरूष –89.76 % , महिला -69.28 %
जनसंख्या घनत्व-
170
लिंगानुपात –
1078
विकासखंड –
10 ( टिहरी , चम्बा , प्रतापनगर , जौनपुर , नरेन्द्रनगर , देवप्रयाग , कीर्तिनगर , घनसाली , जाखणीधार , धौलधार )
प्रसिद्ध मन्दिर –
श्री रघुनाथ जी , सुरकंडा , सेममुखेम नागराज , रमणा मंदिर , महतकुमारिका , कुंजापुरी , ओनेश्र्वर महादेव , बूढ़ा केदार , घंटाकर्ण ।
प्रसिद्ध मेले-
कुंजापुरी मेला , सुरकंडा मेला , वीरगब्बर सिंह मेला , नागेन्द्र सकलानी मेला , गुरुमाणिकनाथ मेला , नागटीब्बा मेला , यमुनाघाटी क्रीड़ा मेला
प्रसिद्ध पर्यटक स्थल –
टिहरी बांध , धनोल्टी , ईको पार्क , घुत्तु कैम्पटी फॉल , चम्बा , नई टिहरी , झड़ीपानी ।
ताल-
मंसूरताल , सहस्त्रताल , अप्सराताल
जल विद्युत परियोजनायें –
टिहरी परियोजना , कोटेश्वर बांध परियोजना , भिलंगना हाइड्रो प्रोजेक्ट । बुग्याल – पावली काठा
सीमा रेखा-
पूर्व में रुद्रप्रयाग , पश्चिम में देहरादून , उत्तर में उत्तरकाशी , दक्षिण में पौड़ी ।
राष्ट्रीय राजमार्ग –
एन . एच 94 ऋषिकेश – यमुनोत्री
संस्थान-
- टी ० एच ० डी ० सी ० हाइड्रो इंजीनियरिंग कॉलेज
- एन ० सी ० ई ० आर ० टी ० नरेन्द्रनगर ।
विधानसभा क्षेत्र –
6 ( टिहरी , घनसाली ( अनुसूचित जाति ) , देवप्रयाग , नरेन्द्रनगर , प्रतापनगर , धनोल्टी ) ।
लोकसभा सीट –
टिहरी लोकसभा ।
नदी –
भिलंगना , भागीरथी , जलकुर नदी , टकोली गाड़ , हेंबल नदी ।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य –
- टिहरी चार जनपदों से सीमायें बनाता है – उत्तरकाशी , देहरादून , पौड़ी , रूद्रप्रयाग।
- टिहरी का प्राचीन नाम- त्रिहरी , मुनि की रेती , गणेश प्रयाग , भारद्वाज , धनुष तीर्थ।
- टिहरी में दस ब्लॉक बारह तहसील तथा छः विधानसभा क्षेत्र आते हैं ।
- 28 दिसम्बर 1815 को गढ़वाल नरेश सुदर्शन शाह ने टिहरी की स्थापना की ।
- टिहरी नगर भागीरथी एवं भिलंगना नदी के तट पर स्थित है ।
- 01 अगस्त 1949 को टिहरी रियासत को भारत में विलय किया ।
- 1960 में टिहरी से काटकर उत्तरकाशी तथा 1997 में रूद्रप्रयाग बनाया गया ।
- देवप्रयाग को सुदर्शन क्षेत्र , ब्रह्मतीर्थ , इन्द्रप्रयाग के नाम से भी जाना जाता है ।
- जटायु की तपोभूमि भी देवप्रयाग को कहा जाता है । देवप्रयाग का रघुनाथ मंदिर द्रविड़ शैली में बना है ।
- देवप्रयाग भागीरथी सास तथा अलकनन्दा बहु के संगम पर स्थित है ।
- देवप्रयाग तीन पर्वतों से घिरा है – दशराथंचल पर्वत , गृद्वांचल पर्वत , नृसिंह पर्वत।
- देवप्रयाग के रघुनाथ मंदिर के प्रवेश द्वार पर माधो सिंह भण्डारी की पुत्रवधु मथुरा बौराणी द्वारा गढ़वाल शासक पृथ्वीशाह के शासन काल का लेख अंकित है । धनोल्टी नामक पर्यटल स्थल भी यहीं है ।
बूढ़ा केदार या वृद्ध केदारेश्वर टिहरी घनशाली में धर्मगंगा का बालगंगा नदी तथा वार्णावत व वालखिल्य पर्वत की परिधि पर स्थित है । - टिहरी के कुछ प्रमुख स्थल – कैम्टी जल प्रपात , सुरकण्डा देवी मंदिर , विश्वनाथ गुफा , चम्बा , नरेन्द्र नगर , कीर्तिनगर , घनशाली , आदि है । नाग टिब्बा , प्रतापनगर , अंगाली मठ गणेश प्रयाग
- चम्बा का पुराना नाम – चमुआ है ।
- नरेन्द्र नगर का प्राचीन नाम – औडाथली
- टिहरी घण्टाघर 1897 में कीर्तिशाह द्वारा स्थापित किया गया ।
- कौडियाल टिहरी जनपद में स्थित है कौडियाला का उपनाम प्वाइंट वाटर वाडर है ।
- टिहरी बांध भागीरथी एवं भिलंगना नदी के संगम पर स्थित है ।
टिहरी बांध एशिया का सबसे ऊँचा बांध व विश्व का चौथा सबसे ऊँचा बांध है 260 मी .
टिहरी बांध परियोजना को राष्ट्र का गांव की संज्ञा दी गई है इसे काफर बांध भी कहते हैं ।
टिहरी बांध का डिजायन प्रो . जेम्स ब्रून ने तैयार की था ।
टिहरी बांध की उत्पादन क्षमता 2400 मे.वा. है - टिहरी के प्रमुख पर्वत- सिद्ध कूट पर्वत , यक्षकुट पर्वत , बालखिल्य , धर्म कूट पर्वत , भृगु पर्वत , अपसरगिनी श्रृंखला।
- घडियाली उत्सव टिहरी में 12 वर्षों में आयोजित होता है ।
- टिहरी के प्रमुख संगठन व संग्रहालय हाइड्रो पावर इंस्टीट्यूट-
टी.एच.डी.सी. हिमालय नक्षत्र वेधशाला-देवप्रयाग टिहरी
राजीव गांधी साहसिक खेल प्रशिक्षण अकादमी- टिहरी
राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद- 17 जून 2006 नरेन्द्रनगर
राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान का रघुनाथ कीर्ति परिसर- देवप्रयाग टिहरी
पिथौरागढ़ (Uttarakhand rajya ke janpadon ka parichay)
पुराना नाम-
सोर घाटी
उपनाम-
छोटा कश्मीर
अस्तित्व –
24 फरवरी 1960
क्षेत्रफल –
7090 वर्ग किमी .
जनसंख्या –
483439
साक्षरता –
82.93 % ,
पुरूष –93.45 % , महिला –72.97 %
जनसंख्या घनत्व –
69
लिंगानुपात –
1020
विकासखंड –
8 ( मुनस्यारी , धारचूला , बेरीनाग , डीडीहाट , कनालीछीना , गंगोलीहाट , पिथौरागढ़ , मूनाकोट )
प्रसिद्ध पर्यटन स्थल –
डीडीहाट , जौलजीवी , मुनस्यारी , छोटा कैलाश , पाताल भुवनेश्वर , गंगोलीहाट , नारायण स्वामी आश्रम , चोकोड़ी , नकुलेश्वर मंदिर , ध्वज मंदिर , कल्पेश्वर महादेव , महाराज पार्क , पिथौरागढ़ किला , झूलाघाट , लन्दन फोट , थल केदार , चण्डाक , उल्का देवी , जयंती मंदिर , अर्जुनुश्वर मोष्टा मानु , कामाक्ष्या , महाकाली मंदिर , कोटगारी मंदिर , नाग मंदिर , शेराकोट किला , चौपखिया , चामुण्डा , गुरना माता , ।
मेले-
छिपला जात , मोस्टा मानू , केदार कडाली , हिलजात , जौल जीवी मेला ।
ग्लेशियर –
मिलम, कलाबंध , नौर्थेण , ल्वान्ल , बामलास , पोटिंग , रालम उपर , तलकोट , रालामाग , संकल्पा , पोल्टिंग ।
प्रपात –
बिरथी , भेल छड़ा ।
झील-
लेक सरोवर ।
जल विद्युत परियोजनायें-
रामगंगा ( ईस्ट ) , कालिकादुन्त , खरतौली , सेराघाट , धौलीगंगा , सेला उदिंग , बोकांग । पर्वत- बामाधुर्रा , ब्रह्मापर्वत बुर्पुधुरा , नन्दकोट , ओमपर्वत , पंचाचूली ।
दर्रे –
लिपुलेख , दारमा , लम्पिया । गुफायें – पाताल भुवनेश्वर
सीमा रेखा-
पूर्व में नेपाल , पश्चिम में चमोली व बागेश्वर , उत्तर में चीन , दक्षिण में अल्मोड़ा व चम्पावत ।
उद्यान-
अस्कोट वन्यजीव विहार ।
राष्ट्रीय राजमार्ग-
एन.एच 125
हवाई पट्टी –
नैनी -सैनी
विधानसभा क्षेत्र –
4 ( डीडीहाट , पिथौरागढ़ , गंगोलीहाट( अनुसूचित जाति ) , धारचूला )
लोकसभा सीट –
अल्मोड़ा लोकसभा
नदी-
गोरी गंगा , काली , सरयू , रामगंगा , धौलीगंगा ।
स्थापना-
24 फरवरी 1960
जिला सीमाएं –
चंपावत , अल्मोड़ा , बागेश्वर , चमोली ।
अंतर्राष्ट्रीय सीमायें-
तिब्बत , चीन , नेपाल ।
दामतारो विवाह –
कन्या के निर्धन माता – पिता को वधू मूल्य देकर विवाह करवाया जाता है तो इसे दामतारो विवाह कहा जाता है ये पिथौरागढ़ में प्रचलित है ।
मुनस्यारी-
- जौहार क्षेत्र का प्रवेश द्वार कहते हैं ।
- मुनस्यारी का प्राचीन नाम तिकसेन था ।
- मुनियों की तपस्थली के कारण इसका नाम मुनस्यारी पड़ा शेर सिंह पांगती ने मुनस्यारी में जनजाति संपदा संग्रहालय की स्थापना की ।
- मुनस्यारी के प्रसिद्ध पर्यटक स्थल हैं- बिरथी जल प्रपात , भेलछड़ा जलप्रपात , खलिया टॉप , मिलम ग्लेशियर , थमारी कुण्ड , माहेश्वरी कुण्ड , कालामुनी टॉप , रालम , नामिक ग्लेशियर पंचाचूली पर्वत , मैसूर कुण्ड , चौकड़ी पर्यटन स्थल हैं ।
- पाण्डुकेश्वर ताम्रपत्रों में मुनस्यारी को तंगडपुर कहा गया है ।
पिथौरागढ़ के किले –
- सीमल गढ़ किला ,
- भाटकोट किला ,
- डंगूर कोट किला ,
- उदयकोट किला ,
- लंदन पोर्ट ,
- ऊँचा कोट किला ,
- जमणकोट किला ,
- सीराकोट किला ।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य –
- पिथौरागढ़ में आठ ब्लॉक और बारह तहसील तथा चार विधानसभा क्षेत्र है ।
- पिथौरागढ़ का उत्तर पूर्वीय क्षेत्र का प्राचीन काल में सीरा कहलाता था ।
- पिथौरागढ़ चार पर्वतों से घिरा हुआ है ।
- पिथौरागढ़ की प्रमुख नदियां है – पूर्वी राम गंगा , काली , और धौली गंगा ।
- देश का पहला जिवाश्प नेशनल पार्क यहीं पिथौरागढ़ में स्थित है ।
- पिथौरागढ़ की स्थापना राय पिथौरा ( प्रीतम देव ) कत्यूरी राजा ने 14 वीं शताब्दी में की थी , इनका विवाह कत्यूरी रानी जियारानी से हुआ था ।
- पिथौरागढ़ में संकौली , चणाकर ( चण्डाक ) विण तथा ऐचोली नामक रमणीक स्थल है ।
- अंग्रेजों ने पिथौरागढ़ को ब्रिटिश परगना ऑफ सोर एण्ड जौहर नाम दिया था ।
- एक हथिया देवाल थल पिथौरागढ़ में स्थित है ।
- इसका निर्माण बाजबहादुर चंद ने करवाया था ।
- इसकी बनावट ऐलोरा की कैलाश मंदिर के जैसी है ।
- नागर तथा लैटिन शैली में निर्मित है ।
- यह पूर्वी रामगंगा नदी के किनारे स्थित है ।
- यहां शिव की मूर्ति है जिसका मुख पश्चिम की ओर है।
- रामेश्वर पिथौरागढ़ के सरयू व पूर्वी राम गंगा के तट पर स्थित है ।
- धारचूला काली नदी के तट पर स्थित है ।
- कालीन उद्योग के लिए प्रसिद्ध यहां से कैलाश मानसरोवर यात्रा , छोटा कैलाश तथा नारायण आश्रम के लिए मार्ग जाता है ।
- बेरीनाग गंगोलीहाट से 25 कि.मी. दूर स्थित है राज्य के सर्वाधिक नाग मंदिर यहीं स्थित हैं ।
- थल केदार को केदार ज्यू के नाम से भी जाना जाता है ।
- चौकडी डांडा पिथौरागढ़ में स्थित है ।
उत्तरकाशी (Uttarakhand rajya ke janpadon ka parichay)
प्राचीन –
नाम बाड़ाहाट , सौम्य काशी ( केदारखण्ड ) शत्रुघन नगर ( व्हेनसांग ने कहा ) सौम्यवाराणसी ।
उपनाम –
रंवाई क्षेत्र , गंगा यमुना का मायका ।
अस्तित्व –
24 फरवरी 1960
क्षेत्रफल –
8016 वर्ग किमी .
जनसंख्या –
330090
साक्षरता-
75.81 % ,
पुरूष -88.79 % , महिला -62.35 %
जनसंख्या घनत्व –
41
लिंगानुपात –
958
विकासखंड-
6 ( भटवाड़ी , डुंडा , पुरोला , मोरी , चिन्यालीसौड़ , नौगाव )
प्रसिद्ध मन्दिर-
गंगोत्री , यमुनोत्री , विश्वनाथ मंदिर , शक्ति पीठ , कुटेटी देवी , रेनुका देवी , भैरव देवता का मन्दिर , शनि मंदिर , पोखू देवता , कर्णदेवता , दुर्योधन मंदिर , कपिलमुनि आश्रम , चौरंगीखाल मंदिर ।
प्रसिद्ध मेले –
माघ मेला , बिस्सू मेला , कन्डक मेला , खरसाली मेला ।
प्रसिद्ध पर्यटक स्थल –
दयारा बुग्याल , गंगनानी , हर्षिल , यमुनोत्री , गौमुख , तपोवन , गंगोत्री , हर की दून , गोविन्द वन्यजीव विहार , गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान , नेहरु पर्वतारोहण संस्थान , लंका , भैरो घाटी ।
ताल –
डोडीताल ( षष्टकोणीयताल ) , नचिकेता ताल , काणाताल , बंयाताल ( उबलता ताल ) , लामाताल , देवासाड़ीताल , रोहीसाड़ाताल ।
जल विद्युत परियोजनायें –
मनेरीभाली फेज -1 , फेज -2 , धरासू पॉवर स्टेशन , लोहारीनाग पाला ।
ग्लेशियर –
गंगोत्री ग्लेशियर , यमुनोत्री ग्लेशियर , डोरियानि ग्लेशियर , बंदरपूंछ ग्लेशियर ।
कुण्ड –
देवकुण्ड , गंगनानी , सूर्यकुण्ड ( यमुनोत्री )
दर्रे –
मुलिंगला , थांगला , कालिंदी , श्रृंगकंठ , नेलंग , सागचोकला ।
पर्वत –
भागीरथी , श्रृंगकंठ , गंगोत्री , यमुनोत्री , बन्दरपूंछ ।
बुग्याल –
दयारा बुग्याल , हरकीदून , तपोवन , पंवाली कांठा ।
गुफायें –
प्रकटेश्वर गुफा ।
सीमा रेखा –
पूर्व में चमोली व रुद्रप्रयाग , पश्चिम में देहरादून , उत्तर में हिमांचल व चीन , दक्षिण में टिहरी ।
राष्ट्रीय उद्यान –
गंगोत्री राष्ट्रीय उद्यान व गोविंद वन्यजीव विहार ।
राष्ट्रीय राजमार्ग –
एन . एच .94 ( ऋषिकेश – यमुनोत्री ) , एन.एच .108 ( उत्तरकाशी – यमुनोत्री ) हवाई पट्टी – चिन्यालीसौड़
विधानसभा क्षेत्र –
3 ( गंगोत्री , यमुनोत्री , पुरोला ( अनुसूचित जाति )
लोकसभा सीट –
टिहरी लोकसभा ।
नदी –
भागीरथी , यमुना , टौस , इन्द्रावती ।
गोमुख-
उत्तरकाशी जनपद में स्थित है । गोमुख हिमनद भागीरथी ( गंगा ) नदी का उद्गम स्थल है । गोमुख ग्लेशियर के पीछे नन्दन वन वासुकीताल तथा कालीन्दी खाल स्थित है ।
उत्तरकाशी के प्रमुख घाट –
मणिकर्णिका घाट , केदार घाट , गौघाट , गोटकाचार्य घाट , षडभरत घाट ।
उत्तरकाशी स्थित प्रमुख आश्रम-
पोगिया आश्रम , केदारेश्वर आश्रम , कोटेश्वर आश्रम , ज्येन्डाश्रम , योग निकेतन , साधु बेला आश्रम , पशुपति आश्रम , तपोवन आश्रम , दण्डीबाडा आश्रम , केशव आश्रम , अवधूत आश्रम , भृगृ आश्रम ।
उत्तरकाशी जनपद के प्रमुख संस्थान-
नेहरू पर्वतारोहण संस्थान 14 नवम्बर 1965
हिमालय संग्रहालय 1965
उत्तरकाशी के प्रमुख पर्वत-
- भागीरथी पर्वत 6856 मी ,
- श्रीकण्ठ पर्वत 6728 मी . ,
- गंगोत्री पर्वत 6672 मी . ,
- यमुनोत्री पर्वत 6400 मी . ,
- बंदरपूछ पर्वत 6320 मी . ,
- स्वर्गारोहिणी पर्वत 6252 मी . ,
- जैलंग पर्वत ,
- कालिंदी पर्वत ,
- वरूणावत पर्वत ,
- ऐरावत पर्वत ।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य –
- उत्तरकाशी की स्थापना- 24 फरवरी 1960 को हुई थी
- उत्तरकाशी का मुख्यालय उत्तरकाशी में है
- उत्तरकाशी में छः विकास खण्ड छ : तहसील तथा तीन विधान सभा क्षेत्र हैं ।
- उत्तरकाशी की सीमायें चार जिलों देहरादून , टिहरी , रूद्रप्रयाग चमोली , तथा अंतर्राष्ट्रीय सीमायें चीन , तिब्बत से लगती हैं ।
- उत्तरकाशी भागीरथी नदी के दांई ओर स्थित है ।
- उत्तरकाशी में भागीरथी , अस्सीगंगा , वरूणा गंगा कमल नदी यमुना प्रवाहित है ।
- उत्तरकाशी के दक्षिण में मणिकर्णिका घाट है ।
- उत्तरकाशी में हवाई पट्टी चिन्याली सौड़ में है ।
चमोली (Uttarakhand rajya ke janpadon ka parichay)
उपनाम –
चांदपुरगढ़ी , अलकापुरी
अस्तित्व-
24 फरवरी , 1960
क्षेत्रफल –
8030 वर्ग किमी .
जनसंख्या –
391605
साक्षरता –
82.65 % ,
पुरुष – 95.40 % , महिला –72.32 %
जनसंख्या घनत्व –
49
लिंगानुपात-
1019
विकासखंड –
8 ( कर्णप्रयाग , जोशीमठ , थराली , गैरसैण ,घाट , देवाल , दशोली , नारायणबगढ़ )
प्रसिद्ध मन्दिर –
बद्रीनाथ धाम ( उत्तर का धाम ) , नंदादेवी , नारायण मंदिर , विष्णु मंदिर , उमादेवी ( कर्णप्रयाग ) ।
प्रसिद्ध मेले –
गोचर मेला , शहीद भवानीदत्त जोशी मेला , असेड सिमली मेला , रुपकुण्ड महोत्सव , वंड विकास मेला ।
प्रसिद्ध पर्यटक स्थल –
बद्रीनाथ , हेमकुंड , फूलों की घाटी , गैरसैण ( प्रस्तावित राजधानी ) , आदिबद्री , औली , जोशीमठ , गोचर , कर्णप्रयाग , ग्वालदम , गोपेश्वर ।
ताल –
विष्णुताल , सत्यपथताल , संतोपंथ झील , रुपकुण्ड ( रहस्यताल ) , बेनीताल , सुखताल , आछरीताल , काकभुशुंडी ताल ,लिंगताल ।
कुण्ड –
तृप्तकुण्ड , ऋषिकुण्ड , हेमकुंड , नंदीकुण्ड । जल विद्युत परियोजनायें – विष्णुगाड़ परियोजना ।
पर्वत –
नीलकंठ , सतोपंथ , बद्रीनाथ , नंदादेवी ( ऊँचाई 7218 मीटर )
दर्रे –
किंगरी – बिंगरी , नीति , बालचा , शलशला , माणा , लमलंग , डूर्गौला , लातुधुरा ।
बुग्याल –
बेदनी बुग्याल , नंदनकानन , गोरसों , लक्ष्मीवन , क्वारीपास , कैला , जलीसेरा , औली , घसतौली , पाडुसेरा , रुद्रनाथ , रातकोण , मनणि , चोमासी , बागची ।
सीमा रेखा –
पूर्व में रुद्रप्रयाग व उत्तरकाशी , पश्चिम में बागेश्वर व पिथौरागढ़ , उत्तर में चीन , दक्षिण में अल्मोड़ा व पौड़ी ।
गुफायें –
व्यास गुफा , राम गुफा , गणेश गुफा ,मुचकुंद गुफा ।
राष्ट्रीय उद्यान –
नंदादेवी , केदारनाथ , फूलों की घाटी ।
राष्ट्रीय राजमार्ग –
एन . एच . 58 ( दिल्ली – बद्रीनाथ )
हवाई पट्टी –
गोचर
विधानसभा क्षेत्र –
3 ( बद्रीनाथ , कर्णप्रयाग , थराली ( अनुसूचित जाति ) )
लोकसभा सीट –
गढ़वाल लोकसभा ।
नदी –
पिण्डर , अलकनंदा , नंदाकिनी , रामगंगा , धौलीगंगा ।
चमोली की राज्य सीमायें –
पिथौरागढ़ , रूद्रप्रयाग , टिहरी ,अल्मोड़ा , पौड़ी गढ़वाल , बागेश्वर , छ : जनपदों से लगती हैं ।
चमोली जिले के दर्शनीय स्थल-
बद्रीनाथ , आदि बद्री , भविष्य बद्री , वृद्ध बद्री , योग बद्री ,
चमोली की गुफांए-
स्कन्द गुफा , रामगुफा , नारद गुफा , व्यास गुफा , गणेश गुफा , गरूड शिला गुफा , मुचकुंद गुफा ।
चमोली जनपद में प्रमुख संग्रहालय व संगठन-
- जड़ी बूटी शोध एवं विकास संस्थान – गोपेश्वर ( चमोली )
- राजकीय विधि कॉलेज – गोपेश्वर
- बोली – भाषा संस्थान – गौचर चमोली 2016
- आई . टी . बी . पी . का स्कीइंग प्रशिक्षण संस्थान – ऑली
- मडुवा रिसर्च सेन्टर – गोपेश्वर चमोली
- उधव चौरी नामक स्थान- चमोली में है ।
चमोली जिले में स्थित पर्वत–
- नन्दा कोट 6861मी . ,
- कामेट 7756 मी .,
- बद्रीनाथ 7140 मी . ,
- द्रोणागिरी 7066मी . ,
- नन्दाखाट 6674 ,
- स्वर्गारोहिणी 6252 मी . ,
- नारायण 51965मी . ,
- नन्दा देवी पश्चिमी -7817मी . (राज्य का सबसे बड़ा पर्वत है) ,
- नन्दा देवी पूर्वी 7434मी . ,
- माणा 7272मी . ,
- चौखम्बा 7138मी . ,
- त्रिशूल 7120मी . ,
- संतोपथ 7084मी . ,
- गंधमाधन पर्वत 6984मी . ,
- केदारनाथ 6968मी . ,
- हाथी पर्वत 6727मी . ,
- नीलकण्ठ 6597मी . ,
- गौरी 6250मी . ,
- नर मादन पर्वत 5831मी . ,
- नन्दा घुघुटी 6309मी . ,
- गुन्नी 61801मी .
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य –
- चमोली की स्थापना 24 फरवरी 1960 में की गई ।
- चमोली का मुख्यालय – गोपेश्वर
- चमोली में आठ ब्लॉक बारह तहसील तथा तीन विधानसभा क्षेत्र है ।
- चमोली का अंतर्राष्ट्रीय सीमा चीन , तिब्बत से लगती हैं ।
- चमोली अलकनंदा के बायें तट पर स्थित है ।
- चमोली जनपद का रगौसा ( सारा ) अनुष्ठान दु : ख निवारण हेतु प्रसिद्ध है ।
- उबेद चमोली में मनाया जाने वाला तांत्रिक अनुष्ठान है ।
- घवोरा देवयात्रा भी चमोली जनपद में प्रसिद्ध है।
- जांती उत्सव चमोली में मनाया जाता है ।
- लास्या उत्सव भी चमोली में मनाया जाता है ।
- बद्रीनाथ में अलकनन्दा तथा ऋषिगंगा नदी का संगम है ।
- चमोली में वृद्ध बद्री , योगध्यान बदरी , सप्तबद्री , पंचकेदार , आदि बद्री , भविष्य बद्री , कल्पेश्वर नाथ , रूद्रनाथ , रूद्रनाथ गुफा , बैरास कुण्ड , सोनधरियों औली , गोविन्द घाट है ।
- आदि बद्री का प्राचीन नाम नौठा / मौठ है ।
- बद्रीनाथ मंदिर संग्रहालय भी चमोली में स्थित है गोपेश्वर में गोपीनाथ मंदिर स्थित है ।
गोपेश्वर का प्राचीन नाम गोस्थल , गोथला था । - तपोवन नामक स्थान चमोली में स्थित है ।
तपोवन का प्राचीन नाम ध्यानकेन्द्र , ढाक तपोवन था ।
तपोवन धौलीगंगा के बांए तट पर स्थित है । - चिनाप घाटी चमोली में स्थित है ।
- प्रसिद्ध रेणीगांव जहां से चिपको आन्दोलन शुरू हुआ था चमोली में है ।
- जोशीमठ का प्राचीन नाम-ज्योतिर्मठ , योठी है
- जोशीमठ धोली एवं विष्णुगंगा के संगम पर स्थित है ।
- हेमकुण्ड साहिब को स्वर्ण झील भी कहा जाता है ।
- माणा गांव राज्य का अंतिम गांव है ।
- रूपकुण्ड ( नरकंकालों की झील ) चमोली में है ।
- फूलों की घाटी चमोली में स्थित है ।
- उपनाम- पुष्पावली , नन्दकानन , पुष्परसा , भ्यूंडार गंगा पार्क , फ्रैंक स्माइथ पार्क ,
- फूलों की घाटी की खोज फ्रैंक स्माइथ ने 1931 में की थी।
- 14 जुलाई 2005 को यूनेस्को ने फूलों की घाटी को विश्व धरोहर में पंजीकृत किया गया ।
- मलयू रोखनी नामक फूलों की घाटी को मेघदूतम में अल्का कहा है।
- फूलों की घाटी राष्ट्रीय उद्यान की स्थापना 1982 में हुई थी भीम पुल मांणा गांव में सरस्वती नदी चमोली में हैं
- कुबेर पर्वत चमोली में स्थित है
- ऋषि प्रयाग – धौली व ऋषि गंगा के संगम पर है ।
हरिद्वार (Uttarakhand rajya ke janpadon ka parichay)
उपनाम –
मायानगरी , मायापुर , गंगाद्वार
स्थापना-
28 दिसम्बर , 1988
क्षेत्रफल –
2360 वर्ग किमी .
जनसंख्या –
1890422
साक्षरता-
73.43 % ,
पुरूष –81.04 % , महिला –64.79 %
जनसंख्या घनत्व –
801
लिंगानुपात –
830
विकासखंड –
6 ( रुड़की , भगवानपुर , लक्सर , नारसन ,बहादराबाद , खानपुर )
प्रसिद्ध मन्दिर –
चंडीदेवी , मंशादेवी , मायादेवी , रतिप्रिया , श्रद्धादेवी।
प्रसिद्ध मेले –
कुम्भ मेला , पिरान कलियर प्रसिद्ध पर्यटक स्थल – हर की पौड़ी , मायादेवी , मंशादेवी , भारतमाता , पिरान कलियर , दक्षेश्वर , वैष्णोमाता , बिलकेश्वर।
जलविद्युत परियोजनायें –
पथरी परियोजना , मोहम्मदपुर परियोजना
सीमा रेखा –
पूर्व , पश्चिम व दक्षिण में उत्तर प्रदेश , उत्तर में देहरादून व पौड़ी ।
राष्ट्रीय उद्यान-
राजाजी राष्ट्रीय उद्यान , मोतीचूर रिजर्व राष्ट्रीय राजमार्ग- एन.एच .74 , एन . एच 58
संस्थान-
- केन्द्रीय बिल्डिंग रिसर्च संस्थान ,
- आई ० आई ० टी ० रुड़की ,
- पतंजलि विश्वविद्यालय ,
- उत्तराखंड लोक सेवा आयोग ,
- राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान ,
- गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय ।
विधानसभा क्षेत्र –
11 ( हरिद्वार , हरिद्वार ग्रामीण , भेल , रुड़की , पिरान कलियर , मंगलौर , ज्वालापुर ( अनुसूचित जाति ) , झबरेड़ा ( अनुसूचित जाति ) , लक्सर , खानपुर , भगवानपुर ( अनुसूचित जाति ) )
लोकसभा सीट-
हरिद्वार लोकसभा
नदी-
गंगा
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य –
- हरिद्वार गंगा नदी के किनारे लगने वाले कुम्भ मेले के लिए प्रसिद्ध है ।
उधमसिंहनगर (Uttarakhand rajya ke janpadon ka parichay)
उपनाम-
गोविषाण
अस्तित्व –
अक्टूबर 1995 में नैनीताल जिले से अलग हुआ ।
स्थापना –
26 दिसम्बर 1995
क्षेत्रफल –
2542 वर्ग किमी .
जनसंख्या –
1648902
साक्षरता –
73.10 % ,
पुरूष – 81.09 % , महिला –64.45 %
जनसंख्या घनत्व –
649
लिंगानुपात –
920
विकासखंड –
7 ( जसपुर , खटीमा , सितारगंज , काशीपुर , रुद्रपुर , बाजपुर , गदरपुर )
प्रसिद्ध मन्दिर –
चैती मंदिर , नानकमत्ता , अटरिया मंदिर । प्रसिद्ध मेले – चैती मेला ( काशीपुर ) , शहीद उधमसिंह मेला ( रुद्रपुर ) , अटरिया मेला ( काशीपुर , रुद्रपुर ) ।
प्रसिद्ध पर्यटक स्थल –
नानकमत्ता , रुद्रपुर ।
ताल-
नानकसागर , शारदा सागर , द्रोणसागर , गिरीताल ।
जल विद्युत परियोजना –
खटीमा परियोजना ( शारदा ) ,लोहियाहेड ।
सीमा रेखा –
पूर्व में नेपाल , पश्चिम व दक्षिण में उत्तरप्रदेश , उत्तर में नैनीताल व चम्पावत ।
राष्ट्रीय राजमार्ग –
एन.एच .87
हवाई पट्टी –
पंतनगर ( फुलबाग ) ।
संस्थान-
गोविन्द बल्लभ पन्त कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ( पंतनगर विश्वविद्यालय ) , प्ड काशीपुर ।
विधानसभा क्षेत्र-
9 ( सितारगंज , नानकमत्ता ( अनुसूचित जनजाति ) , जसपुर , काशीपुर , बाजपुर ( अनुसूचित जाति ) , खटीमा , गदरपुर , रुद्रपुर , किच्छा )
लोकसभा सीट-
नैनीताल लोकसभा ।
नदी-
दाबका , बाकरा , गोला , दओहा ।
मुख्यालय-
रूद्रपुर स्थापना रूद्रचंद 1588
काशीपुर –
- काशीपुर का पुराना नाम गोविषाण उझैनी है ।
- काशीपुर की स्थापना काशीनाथ नामक अधिकारी ने की थी।
- काशीपुर में द्रोणसागर के पास उज्जैन नामक किला है । कुमाऊँ के प्रथम व प्रसिद्ध कवि गुमानी पंत की जन्म स्थली भी यहीं है ।
- काशीपुर स्थित प्रमुख किले- भीमगडा टीला , वंशी वाला टीला , शक्ति देवी मंदिर टीला , ललिता देवी टीला , जागेश्वर टीला , खोखरे का टीला मुख्य है ।
- तुगडिया बाँध 1961 में पीखा नदी पर काशीपुर में स्थित है ।
- आई.आई.एम. काशीपुर में 29 अप्रैल 2011 स्थापित किया गया ( भारतीय प्रबन्ध संस्थान ) ।
उधमसिंह नगर जनपद में स्थित संगठन संग्रहालय-
- औषधीय एवं सुगंधित पौध शोध संस्थान- पंतनगर
- उत्तराखण्ड ग्राम विकास संस्थान- रूद्रपुर
- औषधी विश्लेषण संस्थान – काशीपुर उधमसिंह नगर
- राजकीय हथकरघा डिजाइन केन्द्र- काशीपुर
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य –
- उधमसिंह नगर में सात विकासखण्ड आठ तहसील व नौ विधानसभा क्षेत्र है ।
- प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी आन्दोलनकारी उधमसिंह के नाम पर उधमसिंह नगर का नाम पड़ा है ।
- उधमसिंह नगर का उपनाम चौरासीमाल नौलखियामाल था ।
- उधमसिंह नगर के भू – भाग को ब्रिटिश काल में नौ लाख रूपये लगाने देते थे इस कारण इसे नौ लखिया माल कहा जाता था । यह भाग तराई क्षेत्र के अंतर्गत आता है ।
- पं . जवाहर लाल नेहरू द्वारा स्थापित देश का पहला कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर 1960 भी उधमसिंह नगर में स्थित है ।
- अटरिया देवी मंदिर के पास ही अटारिया मेला लगता है यह कल्याणी नदी के किनारे है ।
- खटीमा का प्राचीन नाम – कथनपुर
- बाजपुर का प्राचीन नाम – मुडिया है ।
- महर्षि दयानन्द कीर्ति स्तम्भ उधमसिंह नगर में स्थित है ।
- नानक मत्ता साहिब- नानकमत्ता का प्राचीन नाम बक्सी व गोरखमत्ता है । नानक सागर डैम भी यहीं पर स्थित है ।
- जसपुर का प्राचीन नाम शाहजफर / शाहजहां है ।
चंद राजाओं के मंत्री जशोधन जोशी के नाम पर जसपुर नाम पड़ा ।
श्री ठाकुर मंदिर और बड़ा मंदिर जसपुर में स्थित है ।
1850 में जसपुर में टाऊन एरिया कमेटी की स्थापना हुई । - बाजपुर – घुमा नदी के किनारे स्थित है इसका निर्माण बाजबहादुर चंद ने करवाया था यहां पर चीनी मिलें हैं । पंतनगर यू . पी . के पूर्व सी.एम. के नाम पर इसका नाम पड़ा । 17 नवम्बर 1960 को देश का प्रथम कृषि विश्वविद्यालय किसान मेला ।
- हरि मंदिर रूद्रपुर में स्थित है- सन् 1954 में स्थापित किया ।
- सैयद मासूम मिया की मजार रुद्रपुर में स्थित है ।
पांच मंदिर रूद्रपुर नगर में लक्ष्मी नारायण मंदिर की स्थापना 1967 में की गई थी ।
सीता – राम , हनुमान , शिव पार्वती , गणेश , राधा कृष्ण , दुर्गा मंदिर । - कीर्तिपुर किला जसपुर के पास काशीपुर परगने के कीर्तिचन्द द्वारा -1489 में स्थापित किया गया ।
रुद्रप्रयाग (Uttarakhand rajya ke janpadon ka parichay)
उपनाम –
रुद्रावत , पुनाड़
अस्तित्व-
18 सितम्बर , 1997
क्षेत्रफल –
1984 वर्ग किमी .
जनसंख्या-
242285
साक्षरता-
81.03 % ,
पुरूष –93.09 % , महिला –70.04 %
जनसंख्या घनत्व-
122
लिंगानुपात –
1114
विकासखंड –
3 ( ऊखीमठ , अगस्त्यमुनि , जखोली )
प्रसिद्ध मन्दिर-
केदारनाथ , तुंगनाथ , कलपेश्वर , काटेश्वर महादेव , हरियाली देवी , कार्तिकस्वामी , कालीमठ , त्रिजुगीनारायण , चंद्रशिला , ओमकारेश्वर , बाणासुर गढ़ मंदिर , गुप्तकाशी , अगस्तेश्वर महादेव , गोरीकुंड , सोनप्रयाग , उमानारायण मंदिर , धारी देवी मंदिर , इन्द्रासणी मनसा देवी , मदमहेश्वर ।
प्रसिद्ध मेले –
विषुवत संक्रांति
प्रसिद्ध पर्यटक स्थल –
देवरियाताल ,केदारनाथ , कालीमठ , ऊखीमठ , त्रिजुगीनारायण , मदमहेश्वर , तुंगनाथ , गुप्तकाशी , सोनप्रयाग , चंद्रशिला ।
जल विद्युत परियोजनायें –
केदारनाथ द्वितीय ।
ग्लेशियर –
चौराबाड़ी ( गांधी सरोवर ) ग्लेशियर , केदारनाथ ग्लेशियर ।
ताल –
देवरियाताल , बदाणीताल , बासुकीताल , सुखदिताल , गांधी सरोवर ।
कुण्ड-
नन्दीकुण्ड , भौरीअमोला कुण्ड , गौरीकुण्ड । पर्वत – चंद्रगिरी , केदारनाथ ।
बुग्याल-
चोपता बुग्याल , मदमेश्वर , बर्मी । गुफायें- कोटेश्वर महादेव ।
सीमा रेखा –
पूर्व में चमोली , पश्चिम में टिहरी , उत्तर में उत्तरकाशी , दक्षिण में पौड़ी ।
राष्ट्रीय उद्यान-
केदारनाथ वन्यजीव विहार
राष्ट्रीय राजमार्ग –
एन.एच . 58 नई दिल्ली- बद्रीनाथ एन . एच .109 हल्द्वानी -रुद्रप्रयाग
विधानसभा क्षेत्र –
2 ( केदारनाथ , रुद्रप्रयाग ) ।
लोकसभा सीट –
पौड़ी लोकसभा ।
नदी –
मंदाकिनी , अलकनंदा ।
पंचकेदार-
तुंगनाथ , केदारनाथ , मदमहेश्वर नाथ – तीन रुद्रप्रयाग में स्थित है ।
कल्पनाथ , रुद्रनाथ ।
स्थापना –
18 सितम्बर 1997
मुख्यालय –
रुद्रप्रयाग
14 प्रयागों के नाम –
- केशव प्रयाग – अलकनन्दा एवं सरस्वती
- विष्णुप्रयाग- अलकनन्दा एवं धौली गंगा विष्णुगंगा
- नन्द प्रयाग – अलकनन्दा एवं नन्दाकिनी
- कर्णप्रयाग – अलकनन्दा एवं पिण्डर
- रूद्रप्रयाग – अलकनन्दा एवं मंदाकिनी
- देवप्रयाग – अलकनन्दा एवं भागीरथी
- दुण्डी प्रयाग – अलकनन्दा एवं ढोडंकी
- शिवप्रयाग – अलकनन्दा एवं खाण्डव गंगा
- कूल प्रयाग- अलकनन्दा एवं हर्षवती
- सोम प्रयाग- मन्दाकिनी एवं सोमगंगा
- जगदीश प्रयाग – अलकनन्दा एवं पद्मावती
- गणेश प्रयाग- भागीरथी एवं भिलंगना
- इन्द्रप्रयाग – अलकनन्दा एवं नवाल का नयार
- सूर्यप्रयाग – लष्कर एवं मंदाकिनी
तुंगनाथ –
- रूद्रप्रयाग जनपद में स्थित है यहां स्थित शिवलिंग को स्वयंभू लिंग कहा जाता है ।
- यह कत्यूरी शैली में निर्मित है ।
- यहां भगवान शिव के हाथ / भुजा की पूजा होती है ।
- यह मंदिर 3680 मी . चन्द्रशिला पर्वत शिखर पर स्थित है
केदारनाथ-
- कत्यूरी शैली में निर्मित यह मंदिर यहां भगवान शिव के पिछले भाग / कूबड की पूजा करते हैं ।
मद्महेश्वर नाथ-
- पंचकेदारों में इस द्वितीय केदार मानते हैं इस मंदिर में शिव की नाभि की पूजा होती है ।
- यह मंदिर चौखम्बा शिखर पर स्थित है 3298 मी . यह मंदिर पाण्डव शैली में निर्मित है ।
- काली शिला , बाणासुर गढ़मंदिर , कालीमठ सिद्धपीठ सोनप्रयाग , ऊखीमठ , गौरी कुण्ड , चौपता आदि पर्यटस्थान है ।
ऊखीमठ –
- ऊखीमठ का प्राचीन नाम – ऊषामठ है ।
- ऊखीमठ के ओंकारेश्वर शिव मंदिर का निर्माण आदि गुरू शंकराचार्य ने किया था ।
- अगस्त्यमुनि मंदाकिनी एवं धूलगाड नदी के संगम चिरीब्यूया , सियाल सौढ , गुप्तकाशी , आदि पर्यटन स्थल है ।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य –
- रूद्रप्रयाग का प्राचीन नाम – रूद्रार्वत ( रूद्रावत ) महाभारत में वर्णन पुनाड़ शिवनगरी है ।
- रूद्रप्रयाग में तीन विकासखण्ड चार तहसील तथा दो विधानसभा क्षेत्र हैं ।
- रूद्रप्रयाग में चार जनपदों टिहरी , चमोली , उत्तरकाशी , पौड़ी हैं
- रूद्रप्रयाग अलकनन्दा मंदाकिनी के संगम पर है ।
- रूद्रप्रयाग नगर पंचायत का गठन 2002 में हुआ । 2006 में नगर पालिका का दर्जा प्राप्त हुआ ।
- केदारनाथ बारह ज्योतिर्लिंगों में एक है । केदारनाथ मंदाकिनी नदी के शीर्ष पर स्थित है । केदारनाथ मंदिर के बांये भाग में पुरंदर पर्वत स्थित है ।
- केदारनाथ मंदिर कत्यूरी शैली में निर्मित है ।
- चौपता को मिनी स्वीटजरलैण्ड कहा जाता है ।
चम्पावत (Uttarakhand rajya ke janpadon ka parichay)
उपनाम –
कुमुनगरी , चम्पावती स्कन्द पुराण के अनुसार , कुमु , काली कुमाऊँ , कुमू काली , कामादेश ।
स्थापना-
15 सितम्बर 1997
मुख्यालय –
चम्पावत
क्षेत्रफल –
1766 वर्ग किमी .
जनसंख्या-
259648
साक्षरता-
79.83 %
पुरूष- 91.61 % महिला- 68.05 %
जनसंख्या घनत्व –
147
लिंगानुपात-
980
विकासखंड-
4 ( चम्पावत , लोहाघाट , बाराकोट , पाटी )
ताल-
श्याम ताल , झिलमिलताल
प्रसिद्ध मन्दिर-
हिंग्लादेवी , घटोक्च ( घटकु ) मंदिर , लड़ीधुरा , मानेश्वर , पूर्णागिरी माता , बाराही दवी , अखिल तारिणी , हंगला देवी , रमकादित्य , भामेश्वर , झुमाधुरी , लड़ीधुरा , मानेश्वर , खेती खान सूर्य मंदिर , फटक शिला एड़ी मंदिर , गोरखनाथ , कल्पेश्वर , पाताल रूद्रेश्वर , बाणासुर किला ग्वाल देवता , दुर्गा , बालेश्वर , कान्तेश्वर , आदित्य मंदिर , नागनाथ मंदिर ।
प्रसिद्ध मेले –
पूर्णागिरी मेला , देवी महोत्सव , गोराअटठारी , सूर्याषष्टी , दीपमहोत्सव , देवीधुरा ( बग्वाल मेला ) ।
प्रसिद्ध पर्यटक स्थल –
माउंट एबर्ट , देवीधुरा , पंचेश्वर , लोहाघाट , मायावती आश्रम , एक हथिया नौला , विवेकानंद आश्रम , बाणासुर का किला , खेतीखान का सूर्य मंदिर ।
गुफायें-
पाताल रुद्रेश्वर गुफा , ( 1993 ) में इसकी खोज की ।
जलविद्युत परियोजनायें-
गोरी गंगा , पंचेश्वर , टनकपुर सप्तेश्वर
सीमा रेखा-
पूर्व में नेपाल , पश्चिम में अल्मोड़ा व नैनीताल , उत्तर में पिथौरागढ़ , दक्षिण में ऊधम सिंह नगर ।
राष्ट्रीय राजमार्ग-
एन.एच. 125
विधानसभा क्षेत्र-
2 ( चम्पावत , लोहाघाट ) ।
लोकसभा सीट-
अल्मोड़ा लोकसभा ।
नदी-
गोरी गंगा , सरयू , पनार , लधिया , लोहावती , काली , क्वैराला ।
चम्पावत के किले-
- राजबुंगा का किला ,
- सिरमोही का किला ,
- गोल्ला चौड़ का किला ,
- बाणासुर किला ( मारकोट किला )
चम्पावत के प्रमुख ताल –
- श्यामल ताल ,
- झिलमिल ताल ।
गंडकी या गिड्या नदी कहां बहती है-
- चम्पावत इसका उद्गम स्थल बनलेख पिथौरागढ़ में है ।
- ये नदी गौडी नामक स्थान पर लोहावती स्थान पर महाकाली में मिलती है ।
- गौडी ( लोहावती तथा गंडकी ) के संगम स्थल पर भीम पुत्र घटोत्कच की प्रतिमा की स्थापना की गई है ।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य –
- चम्पावत राज्य का सबसे कम क्षेत्रफल वाला जिला है ।
- चम्पावत नेपाल , पिथौरागढ़ , नैनीताल , अल्मोड़ा व उधमसिंह नगर से सीमायें बनाता है ।
- चम्पावत में चार विकास खण्ड पांच तहसील और दो विधान सभा क्षेत्र हैं ।
- चम्पावत की स्थापना चंद वंश के संस्थापक सोमचंद ने की थी ।
- चम्पावत को कुमाऊँ का पहला नगर माना जाता है ।
- चम्पावत का मूल नाम चम्पावती है जो चम्पावती व गडकोगाड नदी के किनारे है ।
- नौ ढुंगाघर – नौ पत्थर का मकान है । चम्पावत के मांदली गांव में स्थित है । किसी भी कोने से देखने पर नौ पत्थर दिखते हैं ।
- बनवसा का प्राचीन नाम भुकसाड़ है यह शारदा नदी के किनारे बसा है । गुमदेश , चम्पावत , गुणकोट का किला यही स्थित है ।
- रक्षा देवी स्थल भी चम्पावत में है ।
- बनलेख – गण्डकी नदी का उद्गम स्थल है ।गण्डकी नदी लोहाघाट के निकट गौड़ी नामक स्थान पर लोहावती से मिल जाती है ।
- खेतीखान का सूर्य मंदिर चम्पावत में है ।
- फटक शिला- एडी देवता को समर्पित मंदिर ।
- सेनापानी का बौद्ध स्तूप भी चंपावत में ही है ।
- आधाशक्ति पीठ मातृका आश्रम ( 1997 ) शारदा नदी के किनारे स्थित है ।
- चम्पावत में स्थित लोहावती नदी का उद्गम स्थल – एबर माउंट है ।
बागेश्वर (Uttarakhand rajya ke janpadon ka parichay)
उपनाम –
व्याघ्रेश्वर , नीलगिरी , उत्तर का वाराणसी , भारत का स्विट्ज़रलैंड ‘ कौसानी ‘ ,उत्तर का काशी , गोल्डन वैली , कत्यूरी घाटी , कार्तिकेयपुर घाटी , रणचुला कोट ।
प्राचीन नाम-
बागनाथ , वागीश्वर , नीलगिरी , वाकईश्वर , व्याघ्रेश्वर , अग्नितीर्थ , दानपुर घाटी , भोटद्वार।
स्थापना-
18 सितम्बर 1997
मुख्यालय-
बागेश्वर
क्षेत्रफल –
2246 वर्ग किमी .
जनसंख्या –
259898
साक्षरता –
80.01 % ,
पुरूष- 92.33 % , महिला- 69.03 %
जनसंख्या घनत्व-
116
लिंगानुपात –
1090
विकासखंड-
3 ( बागेश्वर , कपकोट , गरुड़ )
प्रसिद्ध मन्दिर-
बैजनाथ , बाघनाथ , चड़ीका , श्रीहारु , गौरी मंदिर , उदियार , ज्वाला देवी मंदिर ।
प्रसिद्ध मेले-
उत्तरायणी मेला , नंदा देवी मेला । प्रसिद्ध पर्यटक स्थल- कौसानी , पिण्डारी , बैजनाथ ।
ताल-
सुकुण्डा ताल ।
सीमा रेखा-
पूर्व में पिथौरागढ़ , पश्चिम में चमोली , दक्षिण में अल्मोड़ा , उत्तर में पिथौरागढ़ और चमोली का कुछ भाग ।
दर्रे-
ट्रेलपास
राष्ट्रीय राजमार्ग-
एन.एच. 125
विधानसभा क्षेत्र-
2 कपकोट , बागेश्वर (अनुसूचित जाति)
लोकसभा सीट-
अल्मोड़ा लोकसभा
नदी-
कोसी
सीमाएं –
पिथौरागढ़ , चमोली , अल्मोड़ा।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य –
- पूर्वी गंगा और कोसी नदी के तट पर बसा है ।
- बागेश्वर में तीन विकासखण्ड छ तहसील व दो विधानसभा क्षेत्र हैं ।
- बागेश्वर सरयू , गोमती व अदृश्य सरस्वती के तट पर बसा है ।
- 18 सितम्बर 1997 को अल्मोड़ा से अलग करके जिला बनाया गया ।
- अल्मोड़ा से अलग होने के पूर्व यह दानपुर परगने का अंग था ।
- मानसखण्ड में बागेश्वर को नीलगिरी कहा गया है क्योंकि यह नील पर्वत पर स्थित है ।
- मत्स्य पुराण में भी नील पर्वत को पितृ कर्म हेतु अति प्रशस्त तीर्थ माना गया है ।
- सरयू और गोमती के संगम को तीर्थराज प्रयाग भी कहा गया है इसी कारण बागेश्वर को उत्तराखण्ड का प्रयाग कहा जाता है ।
- बागेश्वर के बाघनाथ मंदिर परिसर में उत्कीर्ण कत्यूरी शासक भू – देव के प्रस्तर शिलालेख से बागेश्वर का ऐतिहासिक वर्णन का पता चलता है ।
- नीला चौरी हाट स्थित है- बागेश्वर में ।
- हथछिना जलाशय कहां स्थित है- बागेश्वर में , इस शिलालेख में आठ राजाओं का वर्णन है और ललित पुत्र भू देव को “ परम बौद्ध श्रवण ” रिपु कहा गया है ।
- बाघनाथ मंदिर में भगवान शिव की नाभि की पूजा होती है गांधी जी बागेश्वर 1929 में आये थे ।
- राहुल सांस्कृत्यायन ने बागेश्वर को भोटद्वार कहा है । दानपुर परगने का अंग होने के कारण इसे दसपुर भी कहा जाता है ।
- 1968 में बागेश्वर में नगर पालिका की स्थापना की गई ।
- बागेश्वर में सुन्दरवन धाकुड़ी , गौरी गुफा , सास बहू खत , हरव मंदिर , चण्डिका मंदिर , सुहाग मण्डी , कुकडा देवी मंदिर स्थित है ।
- बैजनाथ नागर शैली में निर्मित , गोमती व गरूड़ गंगा के संगम पर स्थित है ।
- कौसानी भारत का स्विटजरलैण्ड , चाय स्टेट कुमाऊँ का दार्जिलिंग कहा जाता है ।
- कौसानी का प्राचीन नाम बलना है ।
- लक्ष्मी आश्रम ( 1945 ) में (कौसानी में )गांधी जी की शिष्या कैथरिन हैलिमेन ( सरला बहन ) ने स्थापित किया था ।
- कौसानी में गिरियास चाय का दार्जलिंग कहते हैं ।
- भद्रकाली शक्तिपीठ बागेश्वर के काण्डा तहसील में स्थित है।
- भद्रकाली गुफा भद्रगंगा नदी के किनारे स्थित है , जो इस गुफा के बीच में होकर गुजरती है ।
- नुमाइस खेत बागेश्वर में स्थित है ।
- पिण्डर घाटी का अंतिम गांव खाती गांव है ।
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